"महर्षि विश्वामित्र की अनसुनी अमर गाथा" Part 3

जब नंदनी लेने का प्रयास...

कहानी का ( पहला, दूसरा, तीसरा ) भाग देखें।

🎧 इस कहानी को सुनें – भाग 03:

सजाए गए बैल के सामने खड़े एक प्राचीन राजा और साथ में एक ऋषि, दोनों पारंपरिक परिधान और आभूषणों में, आश्रम जैसे प्राकृतिक वातावरण में।

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रिषीवर हमारे साथ एक विजयी सेना भी है, भगवान की अपार कृपा है राजन, हम सभी के प्रसाद की व्यवस्था कर लेंगे, देख लेना रिसीवर सैनिक भूखे नही जाने चाहिए, जो आग्या राजन, इसके बाद अरुंधती सभी के लिए प्रबंधन करने लगी, 

अपनी कुछ सखी के साथ, कुछ शुद्ध प्रसाद लेकर, अपनी नंदनी के पास गई, और उसे प्रसाद खिलाया, हाथ जोडकर उससे कहा, हे नंदनी मां, हमने महोदया नरेश विश्वारथ को, भोजन के लिए आमंत्रित कर लिया है, और उनके साथ उनकी असंख्य सेना भी है, 

अब तुम ही सभी के लिए भोजन की व्यवस्था करो, और ऐसा भोजन देना, जिससे वो अपने राजभवन का भोजन भूल जाए, सभी ने हाथ जोडकर अपने नेत्र बंद कर लिया, इसके बाद नंदनी माता ने, अपना चमत्कार दिखाया, 

उन्होने एक से एक स्वदिष्ट भोजन दिया, शुद्ध शाकाहारी तरह तरह के भोजन दिया, जब सभी ने अपने नेत्र खोले, तो सामने बहुत सारा भोजन प्रकट हो चुका था, इधर विश्वारथ अपने सेना सहित आश्रम मे आ चुके थे, सभी को बैठाकर भोजन कराया, 

जितना सभी भोजन खाते, उतना भोजन बढता जाता, विश्वारथ को बार बार संदेह हो रहा था, की रिषीवर सभी को भोजन कैसे कराएंगे, लेकिन कुछ ही देर मे सभी सैनिक, भोजन पेट भरके पा चुके थे, विश्वारथ को भी खाने मे ऐसा आभास हुआ, 

की मुझे इतना स्वादिष्ट भोजन, पहले कभी नही मिला, जब विश्वारथ और वसिष्ठ जी टहल रहे थे, रिषीवर ये आपने कैसे संभव किया, राजन ये सब नंदनी की वजस से सम्भव हो पाया है, उनकी हमारे ऊपर बहुत कृपा है, 

रिषीवर एक गाए ये सब दे सकती है, हां राजन वह सब कुछ दे सकती है, विश्वारथ ने उसे देखने की इच्छा जताई, वसिष्ठ जी ने अपनी दिव्य गाए के, उनको दर्शन कराया, हाथ जोडकर विश्वारथ ने उसे प्रणाम किया, जब विश्वारथ अपने महल आए थे, 

तो मंत्री ने बताया, राजन राज्य मे काल पड गया है, प्रजा भूख से मर रही है, सभी की स्थिति खराब है, सभी एक गंभीर परिस्थिति से गुजर रहे है, मंत्री यह सब कैसे हुआ, राजन आप युद्ध के लिए, बीस से पचास साल के सभी लोगो को, अपने साथ ले गए थे, 

उनके यहा कोई काम करने को नही बचा, ना ही वह अपना अनाज उत्पन्न कर पाए है, जल्द ही कुछ करना पडेगा, नही अनर्थ हो जाएगा, विश्वारथ ये सब सुन सोच मे पड गया, की सभी को बहाल कैसे किया जाए, 

अचानक विश्वारथ को याद आया, नंदनी गाए, अपने मंत्री से बोले तुरंत रीषी वसिष्ठ के आश्रम जाओ, और नंदनी गाए को यहा महल मे लेकर आओ, वही राज्य की स्थिति को सही कर सकती है, मंत्री आदेश पाकर, अपने कुछ सैनिकों के साथ, 

वसिष्ठ जी के आश्रम गए, और बोले, रिसीवर राजन का आदेश है, की आपकी नंदनी को महल मे‌ लाया जाए, मंत्री जी ये नंदनी नरेश की नही है, जो अपना हक जता सके, उनसे जाकर कह दो, हम उनके इस आदेश का पालन कभी नही करेंगे, 

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यहा आपको हर रोज एक कहानी पढने को मिलेगी, जो जीवन की एक सीख के साथ आपको एक अच्छी प्रेरणा भी देगी, और एक अच्छे मार्ग मे चलने का मार्ग देगी, हम भगवान की अद्भुत लीला लेकर आते है, हमे फोलो जरूर कर लेना, धन्यवाद

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