मां दुर्गा का रहस्य जानिए...
विश्वामित्र की अनसुनी अमर गाथा - click here
ये कहानी है एक ऐसे राक्षस की, जिसका नाम सुनते ही, देवताओ का हृदय कांप उठता था, उस राक्षस ने अपनी शक्ति से, तीनो लोको मे राज किया, यह घटना का उल्लेख, लाखो साल पहले पुराणो मे मौजूद है, हम जिस राक्षस की बात कर रहे है,
उसका नाम है महिषासुर, वह ना ही भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से पराजित हुआ, और ना ही भगवान शिव के त्रिशूल से, ये दो ऐसे अस्त्र है, जो पूरी सृष्टि को नष्ट करने की ताकत रखते है, वह आखिर एक असुर को, कैसे नही हरा पाए,
आखिर वह शक्तिशाली असुर की मृत्यु कैसे हुई, और उसका वध कैसे सम्भव हुआ, यह यात्रा यही तक सीमित नही है, इसमे आप जानेंगे की आखिर दुर्गा माता का जन्म कैसे हुआ, और उन्होने अपना वाहन, एक शेर को ही क्यो चुना,
आखिर कौन है ये महाशक्ति, जिसने सुदर्शन चक्र को धारण किया, जब सभी देवताओ ने हार मान ली, तो कैसे एक माता ने सभी को बचाया, और रक्तबीज भी एक ऐसा असुर था, जिसे बडे से बडा देवता भी नही हरा पाया, और कैसे काली मां ने उसका अंत किय,
भगवान विष्णु और भगवान शिव की, शक्ति से सभी परिचित है, यह सब कुछ करने मे समर्थ है, लेकिन फिर भी इस असुर का कुछ नही कर पाए, तो चलिए आज बात करे, माताओ की शक्ति नही, महाशक्ति के बारे मे,
कहानी की शुरुआत होती है सतयुग से, जब देवता सम्पूर्ण पृथ्वी पर राज करते थे, यही युग था, जिसमे भगवान से वरदान प्राप्त करना, असुरो के लिए सरल था, वह भगवान की घोर तपस्या करते, और उनसे वरदान प्राप्त करते, इसके बाद चारो तरफ विनाश करते,
यहा कहानी शुरू होती है, पताल के दो भाईयो से, जिसका नाम था, रम्भ और करंभ, लेकिन उनकी कोई संतान ना होने के कारण, वह अंधकार मे डूबे रहते थे, लेकिन तभी उन्हे याद आया, की अगर वो तप करे, तो उन्हे मन चाहा वरदान मिल सकता है,
दोनो भाई अलग अलग भगवान की, तपस्या करने निकल पडे, रंभ ने पहले एक बडा अग्नि का गोला तैयार किया, और अग्नि देव की तपस्या की, करंभ ने अपने शरीर को आधा पानी मे डुबोकर, वरूण देव की तपस्या की,
उनको तप करते करते कई वर्ष बीत गए, दोनो भाईयो की तपस्या मे साधना और इतनी शक्ति थी, की स्वर्ग मे बैठे देवता, उनको महसूस कर सकते थे, देवो के राजा इंद्र देव को भी, अब अभास होने लगा था, की अगर इन असुरो को वरदान मिल गया,
तो ये देवताओ के लिए खतरा बन सकते है, तभी इंद्र देव ने, तपस्या भंग करने का निर्णय लिया, और वो पहुच गए करंभ के पास, उन्होने एक मगरमच्छ का रूप लिया, और करंभ पर हमला बोल दिया,
इसके बाद करंभ की मृत्यु हो गई, लेकिन दूसरी तरफ रंभ था, जिसे तुरंत शक्ति के कारण पता चल गया, की मेरा भाई अब नही रहा, और उसे मारने वाला इंद्र है,
रंभ अपने भाई से बहुत प्रेम करता था, उसकी मृत्यु के पश्चात, उसने अपना तप तोड दिया, और एक तलवार को लेकर, अपने प्राणो को त्यागने ही जा रहा था,