"जब एक गुब्बारे ने बदली बच्चे की किस्मत | सच्ची प्रेरणादायक कहानी"

शहर की ऊँची इमारत और मासूम बच्चा

झुग्गी बस्ती का मासूम बच्चा रात के समय लाल गुब्बारा आसमान में छोड़ रहा है, पास की ऊँची सोसाइटी बिल्डिंग से एक युवक उसे देख रहा है, चित्र भावुक और प्रेरणादायक दृश्य दिखा रहा है।

महिषासुर की एक अनसुनी कहानी पढ़े click here 


शहर के बीचो‌ बीच एक बडी सोसाइटी की बिल्डिंग थी ... उसमे सबसे ऊपर वाले मकान मे एक लडका दीपक रहता था ... वो रोजाना खाना खाकर ... रात को नौ से दस बजे तक ऊपर छत पर घूमता था ... उस बिल्डिंग के पास कुछ झुग्गी झोंपडिया बनी हुई थी ... पिछले एक-डेढ महीने से ... वो रोज एक बच्चे को देख रहा था

 ... जो रोजाना एक गुब्बारे को ... ऊपर छोडता था ... और उसे तब तक देखता रहता ... जब तक वह आँखो से ओझल न हो जाए ... एक दिन दीपक दोस्त से बात करने के कारण ... थोडा लेट छत पर घूमने गया ... तो उसे वो बच्चा दिखाई नही दिया ... दीपक ने ऊपर देखा ... कही कोई गुब्बारा उडता हुआ दिख जाये ... तो उसे एक गुब्बारा अपनी पानी की टंकी मे अटका हुआ दिखा ... दीपक समझ गया ... कि यह गुब्बारा उस बच्चे का है ... और उसने सोचा की उस गुब्बारे को निकालकर बच्चे को दे आऊंगा ... और वह टंकी पर चढ गया ... उसने देखा कि उस गुब्बारे पर कुछ लिखा हुआ था ...

 दीपक उसे पढकर बेचेन हो गया ... उस पर लिखा था कि ... हे ऊपर वाले ... मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है ... और उसके इलाज के लिए किसी को भेज दे ... मेरे पास इतने सारे पैसे नही है ... यह पढकर दीपक रात भर सो नही पाया ... वह सबेरे उठते ही उस लडके से मिलने चला गया ... उसने जाकर देखा ... तो सच मे उसकी मां की तबीयत खराब थी ... दीपक ने उस लडके से पुछा ... की तुम रोज गुब्बारे पर लिखकर क्यो गुब्बारा उडाते हो ...

 ये तुम्हे किसने बताया ... कि ऐसा करने से ईश्वर तुम्हारी मदद करेगा ... उस लडके ने कहा ... ये सब मुझे भिखारी दादा ने कहा था ... एक दिन मै रात को होटल से घर आ रहा था ... तो उन्होने कहा कि मेरी तबीयत खराब है ... और मै आज भीख मांगने नही जा सका ... मै दो दिन से भूखा हूं ... क्या तुम मुझे खाना खिलाओगे ... मुझे उसपर दया आ गई ... तो मैने उन्हे खाना लाकर दे दिया ... तो उन्होने कहा की ... बेटा तेरी मदद ऊपरवाला करेगा ... मैने पूछा वो सच मे मेरी मदद करेगा क्या ... दादा ने कहा ... 

जैसे मेरे लिए उसने तुझे भेजा है ... वैसे ही वो तेरे लिए भी किसी को भेज देगा ... दीपक ने पूछा ... तो गुब्बारे पर लिखने का किसने बोला ... और तुम रात को ही क्यो छोडते हो ... दिन में क्यो नही ... वो लडका बोला दादा ने कहा था ... कि तेरी ऊपरवाला मदद करेगा ... मै रोज सोचता था ... कि ऊपर वाले तक बात कैसे पहुचाऊं ... एक दिन मैने एक गुब्बारे को ... बहुत ऊंचाई पर जाते हुए देखा ... तो मुझे यही रास्ता समझ मे आया ...

 मै होटल मे काम करता हूं ... मुझे रोज रात को ही पैसे मिलते है ... इसलिए मै रोज रात को गुब्बारा छोडता हूं ... उस बच्चे की बाते सुनकर ... दीपक की आँखो मे आँसू आ गये ... और उसने उस बच्चे को गले लगाते हुए कहा ... कि बेटा वो दादा सही कह रहे थे ... उस ऊपर वाले ने ही तेरी मदद के लिए मुझे भेजा है ... और दीपक ने उसकी मां का इलाज कराया ... बच्चे का मा के प्रति प्यार देखकर ... उसकी और भी बहुत सारी मदद की ... 

उसे स्कूल मे दाखिल कराया ... इस कहानी से हमे कुछ बाते समझ मे आयी ... कि ईश्वर उस बच्चे पर खुश क्यो हुआ ... उसका मा के लिए प्यार ... गरीब होते हुए भी उसके मन मे दूसरो के लिए दया ... उसका भोलापन और सबसे बडी बात ... उसका विश्वास जो उसने एक-डेढ महीने तक गुब्बारे मे लिखकर ईश्वर को भेजा ... यदि ये बाते हम लोगो मे भी पैदा हो जाए ... तो इसमे कोई शक नही ... कि वो प्यारा ईश्वर हमारी तकलीफो मे भी ... किसी ना किसी को भेज ही देगा ... विश्वास कीजिये ... वो ईश्वर हमे हर पल देख रहा है ... जब मन से निकली पुकार आसमान तक जाती है ... तो ईश्वर ज़रूर किसी को रास्ता दिखाता है ... भरोसा बनाए रखिये ... वो आपकी कहानी भी लिख रहा है ...

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