संत नामदेव जी का प्रभु से संवाद...
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हर रोज संत नामदेव जी ... पंढरपुर मंदिर मे भगवान विठोबा के दर्शन को जाते ... प्रभु के सामने हाथ जोडकर निवेदन करते ... हे ठाकुर जी ... मेरी मईया रोज आपके लिए प्रसाद बनाती है ... कभी हमारे घर भी पधारिए ना … केवल एक बार प्रभु ... भगवान की मूर्ति मे हल्की मुस्कान उभरती है ...
एक दिन ठाकुर जी मुस्कुराए ... और बोले-अरे नामा … तुम रोज बुलाते हो कि मै तुम्हारे घर प्रसाद खाने आऊं … अगर मै हर दिन चला गया ... तो यहां मंदिर मे दर्शन कौन देगा ... नामदेव जी कुछ सोच मे पड गए … पर इससे पहले ही प्रभु बोले ... एक उपाय है ... नामदेव चौकते है ... क्या उपाय प्रभु ... भगवान बोले ... तू मेरी जगह खडा हो जा … और मै जाऊं तेरे घर प्रसाद पाने ...
नामदेव चौंक गए ... प्रभु ये कैसे संभव है ... सब कुछ संभव है ... अगर भक्ति सच्ची हो ... मै खुद तेरा श्रृंगार करूंगा … तुझे बिल्कुल पंढरीनाथ जैसा बना दूंगा ... नामदेव बोले ... प्रभु अगर मेरी मां प्रसन्न होगी ... तो मै प्रसाद से वंचित रहकर भी धन्य हो जाऊंगा ... भगवान ने नामदेव को अपने स्थान पर खडा किया ...
देखो नामा ऐसे खडे रहना ... जैसे मै खडा रहता हूं … अब आंखे बंद कर लो ... हां प्रभु कर लिया ... ठाकुर जी ने स्पर्श करके ... श्याम वरण के जैसे ठाकुर जी ... बैसे ही बना दिया ... ठाकुर बोले अब तुम पंढरीनाथ हो गए हो ... जी प्रभु ... साढे तीन बजे सुबह काकडा आरती होगी ... जिसे मंगला आरती बोलते है ... और ये पूजारी जी बिल्कुल विचार नही करेंगे ...
ठंडे जल से नहलाएंगे ठिठुरना नही ... उसके बाद दूध से भी नहलाएंगे ठिठरना नही ... नामदेव जी बोले मुझे नही बनना पंढरीनाथ ... ठाकुर जी बोले अब तु खडे ही रह यही पे ... तेरे को भी तो पता चले ... मुझे क्या अनुभव होता है ... काकडा आरती मे नियम होता है ... पंडित जी मुंह पे मक्खन रख देते है ... और उसके बाद आरती करते है ...
मन तो होगा तेरा खाने का पर चाटना नही ... अगर नेक मे मक्खन खत्म हुआ ... तो पुजारी बहुत मारेंगे ... मै कुछ नही करता ... मै चुपचाप खडा रहता हूं ... इसके बाद तुम्हारा श्रृंगार होगा ... और इसके बाद द्वार खोल दिए जाएंगे ... सब भक्त चरणो मे आकर प्रणाम करेंगे ... और कुछ भी मांगे देना नही ... विधि का विधान और कर्म का विधान ... सब उनको दे देगा ...तुम कुछ भी मत दे देना ... नही लोग कुछ भी मांग लेंगे ... अब खडे रहो मै जा रहा हूं ...
जब भगवान पंढरीनाथ नामदेव के घर पहुँचे...
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अब अर्ध रात्रि मे ... भगवान पंढरीनाथ नामदेव जी के घर गए ... और द्वार पर खडे होकर बोले ... दरवाजे खोलो ... जैसे ही नामदेव की माता जी ने द्वार खोला ... और द्वार पर पंढरीनाथ भगवान को देखा ... उनकी माता जी आनंदित हो गई ... चरणो मे गिर पडी ... ठाकुर जी बोले मईया जल्दी पवाओ मुझे भूख लगी है ...
मुझे ये पुजारी लोग एक ही चीज पूरन पोली खवाते रहते है ... नामदेव जी की माता ने सुंदर प्रसाद दिया ... नामा कहा चला गया ... अभी तक आया नही ... इतनी देर का गया है ... ठाकुर जी बोले अभी मिलवाने ले चलूंगा ... नामदेव के पास ... उससे पहले प्रसाद पा लूं ... ठाकुर जी प्रसाद पाने के बाद ... मईया से बोले ... एक काली साल लेकर आओ ...
एक काली कमली लेकर आओ ... मईया बोली क्यो ... कोई पहचान ना ले मुझे ढक के चलूंगा ... मईया ने ठाकुर जी को साल दिया ... और ठाकुर जी ने पूरा अपने आप को ढक लिया ... केवल नेत्र दिख रहे है ... मईया से बोले चलो मेरे संग ... मईया बोली कहा ... मंगला आरती हो रही है पंढरीनाथ भगवान की ... फिर दोनों रास्ते से चल कर मंदिर पहुंचे ... तो वहा पहुंचकर सभी भक्तो के साथ खडे हो गए ...
मईया बोली आप तो यहा खडे हो ... आरती किसकी हो रही है ... ठाकुर जी बोले नामदेव की ... आज मेरी जगह नामदेव खडा है ... आज उसकी आरती होगी मै उसका दर्शन करूंगा ... जैसे ही पंडित अंदर पहुचा ... आरती चल रही है न नामदेव की ... वह पंढरीनाथ बन के खडे है ... और दूर खडे दर्शनार्थियो के बीच ... पंढरीनाथ भगवान खडे होकर ... नामदेव की बलाईया ले रहे है ...
आहा मेरा नामा ... कितना प्यारा लग रहा है ... कितना सुंदर लग रहा है ... जैसे ही ठाकुर जी पहुंचे गर्भगृह मे ... तो नामदेव जी ने नेत्र खोल पंढरीनाथ भगवान को देखा ... अब नामदेव जी घबराए ... की ये कही मुझे प्रणाम ना कर ले ... ठाकुर जी बोले आज तो नामा रोक नही पाएगा ... और तुरंत ठाकुर जी सिर झुकाकर वंदन किया ... नामदेव जी के नेत्र सजल हो गए ...
ठाकुर जी बोले की रोईओ मत पुजारी देख लेंगे ... की ठाकुर जी के आंसू आ रहे है ... आज भी पंढरीनाथ मे तीन सौ पैंसठ दिन मे ... एक दिन आता है ... उस दिन आज भी यही भाव रखा जाता है ... की श्री पंढरीनाथ भगवान नही ... आज नामदेव जी खडे है ... और उस दिन जितने वैश्नव दर्शनार्थी आते है ... सबको प्रणाम करते है ... क्योकि ऐसा मानना है ...
की इनमे से कही ना कही ... पंढरीनाथ भगवान आए होंगे ... यहा दर्शन करने के लिए ... इस अद्भुत और अमृत भरी कहानी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाए ... ताकी सब को ये सच्चाई पता चले ... और प्रेम से एक बार पंढरीनाथ भगवान की जय जरूर लिखे ...
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