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राजा ने मैनावती के मृत शरीर को, एक ऊंचे महल मे रखवा दिया, जिसे सबने मरा हुआ समझा, जब उसे सुनसान महल मे बंद कर दिया गया, वही मैनावती हर रात को उठती थी, अपने बेटे को खाना खिलाने के लिए, लेकिन दिन मे उसका शरीर, एक निर्जीव पुतले जैसा हो जाता था, सच तो तब सामने आया, जब एक मासूम बच्चे ने राजा को बताया,
मेरी मां हर रात जागती है, और दिन मे सो जाती है, क्यो थी मैनावती की आत्मा एक माला मे कैद, और किसने उसे वहा पहुचाया, जानिए एक रहस्य, जो महल की दीवारो के पीछे दबा था, पर अब सामने आने वाला है, देखिए पूरी कहानी सिर्फ आरके क्रेएटर पर,
कहानी शुरू-
मंत्री राजा की बात सुनकर हैरान थे, कि महाराज ऐसा क्यो करवा रहे है, परंतु मंत्री ने राजा का आदेश मानते हुए, नगर के बाहर एक बहुत बडा महल बनाया है, उसे ऊंची ऊंची दीवारो से घिरवा दिया, उस महल के आंगन मे, मैनावती के शरीर को रखवा दिया गया, साथ ही ढेर सारा खाने पीने का सामान, और सुख सुविधाओ का सामान रखवा दिया।
मैनावती की मृत्यु पर, बडी रानी बहुत ही खुश थी, और वह सोच रही थी, कि चलो वह हमेशा के लिए, मैनावती चली गई, अब महाराज मुझे ही मानेंगे, और मेरे साथ ही रहेंगे, इधर राजा बहुत दुखी थे, उनका किसी भी काम मे मन नही लगता था, वह हमेशा मैनावती की यादो मे, खोए रहते थे, एक दिन राजा ने सोचा।
मैना सुंदरी ने आखिर अपने शरीर को, जलाने से मना क्यो कर दिया, क्या वह फिर से जीवित होकर लौट आएगी, परंतु ऐसा नही हो सकता, मरे हुए लोग वापस नही आ सकते, राजा अपने दिल को समझा लेते, वह मैनावती की याद मे, कभी-कभी उसके महल के चक्कर लगाया करते थे,
राजा को सुनाई दी बच्चे की आवाज
एक दिन राजा, ऐसे ही मैनावती के महल की तरफ, चक्कर लगा रहे थे, तभी उन्हे महल के अंदर से, एक बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी, यह सुनकर राजा बहुत हैरान थे, यह बच्चे के रोने की आवाज, इस महल से कैसे आ सकती है,
आखिर कोई भी बच्चा, महल मे कैसे आ सकता है, मुझे अंदर चलकर देखना चाहिए, बच्चे को देखने के लिए, राजा महल के अंदर घुस गया, तब राजा ने देखा, कि मैनावती के मृत शरीर के पास, उसके बगल मे छोटा सा बच्चा रो रहा है, राजा ने उस बच्चे को गोद मे उठाया, तो बच्चा चुप हो गया, राजा को समझ नही आ रहा था, कि यह बच्चा कौन है।
और यहां पर कैसे आ गया है, तब राजा ने उस बच्चे को थोडी देर खिलाया, फिर वह बच्चा, उनकी गोद मे ही सो गया, तब राजा ने उसे मैनावती के बगल मे सुलाकर चला गया, अगले दिन राजा, फिर से बच्चे को देखने के लिए, महल मे घुस गए, तब राजा ने देखा, कि बच्चा महल के आंगन मे खेल रहा है।
राजा ने फिर से गोद मे लिया, और थोडी देर खिलाने के बाद, बच्चा फिर से सो गया, तो राजा ने उसे, मैनावती के शरीर के पास, सुलाकर चले गए, राजा हर रोज उस बच्चे से मिलने के लिए आते, और बच्चे के साथ, थोडी देर खेलने के बाद, मैनावती के पास सुलाकर चले आते थे।
मृत महिला कैसे जागती है,
धीरे-धीरे समय बीत रहा था, अब वह लडका बडा हो गया था, और सारी बाते भी समझने लगा था, ऐसे ही एक दिन राजा ने, उस लडके से पूछा, बेटा तुम कौन हो, और तुम्हारी मां कहा पर है, लडके ने मैनावती के शरीर की तरफ, इशारा करते हुए बोला, कि मेरी मां यही है।
यह सुनकर राजा बहुत ही हैरान था, राजा ने बडी हैरानी से देखा, बेटा तुम्हे रोज खाना कौन खिलाता है, मेरी मां मुझे रोज खाना खिलाती है, यह सुनकर राजा और भी हैरान हो गया, राजा ने बडी हैरानी से देखा, मैनावती बिल्कुल मृत शरीर की तरह लेटी थी, मेरी मां रोज रात को जागती है, और मुझे ढेर सारा प्यार करती है।
और खाना खिलाती है, फिर सुबह होने से पहले ही, वह सो जाती है, बेटा आज रात मे, जब तुम्हारी मां जागेगी, तो उससे पूछना, कि मां तुम दिन भर सोती रहती हो, और रात को ही जागती हो ऐसा क्यो, ठीक है, आज रात मे जब मेरी मां जागेगी, तो मै उनसे यह बात पूछूंगा।
यह कहते कहते बच्चा सो जाता है, फिर राजा उसको मैनावती के बगल मे सुलाकर चला जाता है, मैनावती के प्राण उस माला मे ही था, और बडी रानी वह माला, दिन मे पहने रहती थी, तब मैनावती के शरीर से प्राण निकल जाते थे,
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और वह बडी रानी, रोज उस माला को रात मे, सोने से पहले उतारकर रख देती थी, तब मैनावती के शरीर मे, उसका प्राण आ जाता था, मैनावती जब रात को जागी, और अपने बच्चे को खाना खिला रही थी, तब बच्चे ने बोला, मां मेरा पेट भरा हुआ है, मै खाना नही खाऊंगा, बेटा आज कल तुम ठीक से, खाना नही खा रहे हो, मां मै खाना खा चुका हूं।
मैनावती यह बात सुनकर हैरान थी, तुम्हे किसने खाना खिलाया, मां मुझे साहब ने खाना खिलाया, वह रोज दिन मे आते है, और मेरे साथ खूब खेलते है, और मुझे प्यार भी करते है, मुझसे थोडी देर खेलने के बाद चले जाते है, मां वह पूछ रहे थे, कि जब तुम्हारी मां जागेगी।
तो उनसे पूछना, कि तुम दिन मे ही सोती हो, और रात मे जागती हो ऐसा क्यो, मैनावती ने सोचा, कि राजा को सारी बात बताने का, यही सही समय है, सुनो बेटा, जब कल राजा साहब आए, तो उनसे बोलना, कि बडी रानी के गले मे, एक चमकती हुई मोतियो की माला है।
उसी मे मेरी मां के प्राण बसे है, बडी रानी दिन भर उस माला को पहने रहती है, जिससे मेरी मां का शरीर मृत समान रहता है, और रात को वह माला निकाल देती है, तो मेरी मां मे प्राण आ जाता है, और वह जाग जाती है,
जब बच्चे ने सच्चाई बताई...
अगले दिन रोज की तरह, फिर से राजा उस बच्चे से मिलने के लिए आए, तब वह बच्चा बोलता है, राजा साहब, मेरी मां बोल रही थी, कि बडी रानी के गले मे जो माला है, उसमे ही मेरे प्राण है,
अगर वह माला मुझे मिल जाए, तो मै फिर से जीवित हो जाऊंगी, राजा पूरी बात समझ गया, कि बडी रानी को मैना सुंदरी से बहुत जलन थी, जिस कारण वह मैना सुंदरी को, जान से मारना चाहती थी।
आज मैना सुंदरी की यह दशा, बडी रानी की वजह से ही हुई है, और उसके इस करतूत की सजा, उसे जरूर मिलेगी, बडी रानी से वह माला लेना बहुत जरूरी है, राजा बडी रानी से, माला को लेने की योजना बनाने लगा, एक दिन राजा बडी महारानी के पास जाता है।
और उससे बोलता है, महारानी आपने इतनी भारी मोतियो की माला, अपने गले मे क्यो पहने हो, इसे उतार दीजिए, नही नही महाराज, मै इसे नही उतार सकती, यह माला मेरी मां की आखरी निशानी है, जो मेरी मां ने दिया था, मै इसे नही उतार सकती, राजा समझ गया।
कि बडी रानी से यह माला लेना, इतना आसान भी नही है, इसके लिए मुझे दूसरा रास्ता अपनाना होगा, अब अगले दिन राजा फिर से, बडी रानी के पास जाता है, और बोलता है, रानी मेरे प्रिय मित्र का, एक छोटा सा बच्चा है, परंतु उस छोटे से बच्चे की मां, इस दुनिया मे नही है।
और मेरे मित्र को, उस बच्चे के पालन पोषण करने मे, बहुत दिक्कत हो रही है, उसकी मदत करना चाहता हूं, अगर आपकी आज्ञा हो तो, क्या मै छोटे से बच्चे को यहा पर ला सकता हूं, क्या आप कुछ दिनो के लिए, छोटे बच्चे का लालन पालन कर पाएंगी, हां महाराज क्यो नही।
आप जरूर उस छोटे बच्चे को लाइए, हमारी कोई संतान नही है, मै उसका कुछ दिनो तक ध्यान रखूंगी, तो मुझे भी अच्छा लगेगा, फिर अगले दिन जब राजा मैनावती के महल जाता है,
तब वह उस बच्चे से बोलते है, मै जैसे-जैसे बता रहा हूं, तुमको वैसे-वैसे ही करना है, तुम बडी रानी के गले मे पडे, उस मोतियो की माला को पकड लेना, और जोर-जोर से रोने लगना, और कहना, कि मुझे थोडी देर इस माला के साथ खेलना है।
राजा की चाल और बडी रानी का षड्यंत्र...
और तब तक रोते रहना, जब तक बडी रानी वह मोतियो की माला, अपने गले से उतार कर तुमको ना दे दे, मै सब समझ गया हूं, मै योजना के अनुसार ही काम करूंगा,
महल मे सभी लोग, उसे बहुत प्यार करते है, थोडी देर बाद बडी रानी भी आ जाती है, और उसे गोद मे उठा लेती है, जैसे ही बच्चा गोद मे जाता है, माला को पकडकर रोने लगता है, और कहता है।
मुझे इस माला के साथ खेलना है, मै इसके साथ खेलना चाहता हूं, मुझे यह माला दो, नही नही बच्चे, यह तुम्हारे खेलने की चीज नही है, मै तुम्हारे लिए दूसरे खिलौने लेकर आती हूं, परंतु वह बच्चा, उसी माला के लिए जिद पकडे रहता है, और जोर-जोर से रोने लगता है।
महल के सारे लोग इकट्ठे हो जाते है, और सभी उस बच्चे को बहलाने फुसलाने लगते है, परंतु वह बच्चा, माला की रट लगाए बैठा था, ऐसा मानो अगर उसे वह माला ना मिले, तो उसकी जान चली जाएगी, तभी योजना के अनुसार, वहा पर राजा आ जाते है।
और वह रानी से बोलते है, रानी यह आप क्या बच्चो जैसी हरकते कर रही है, आप राज्य की महारानी है, और आप एक मामूली सी मोतियो की माला के लिए, बच्चो जैसी जिद कर रही है, कि मै यह माला नही दूंगी, सोचिए अगर इस बच्चे को कुछ हो जाता है।
तो लोग आपको क्या कहेगे, राज्य मे आपकी क्या इज्जत रह जाएगी, अब रानी सोचने लगी, कि अगर सच मे बच्चे को कुछ हो जाता, तो राज्य मे मेरी प्रतिष्ठा चली जाती, एक काम करती हूं, थोडी देर के लिए माला बच्चे को दे देती हूं, और जब इस बच्चे का मन भर जाएगा।
तो मै इसे वापस ले लूंगी, रानी माला अपने गले से निकालकर, उस बच्चे को दे देती है, बच्चा माला को लेकर इधर उधर घूम घूम कर, खेलने लगता है, थोडी देर बाद वह मोतियो के माला को लेकर, राजा को दे देता है, राजा जल्दी से बच्चे को लेकर, रानी मैनावती के महल मे चला जाता है।
और मैनावती के गले मे डाल देता है, माला के डालते ही, मैनावती मे प्राण वापस आ जाता है, महाराज मेरे प्राण इस मोतियो की माला मे ही बसते है, अगर यह माला कोई दूसरा ले ले, तो मेरे प्राण चले जाते है, मैनावती मै सब जान चुका हूं, बडी रानी ने तुम्हारे साथ, बहुत ही गलत किया है, और उसे उसकी सजा जरूर मिलेगी, तुम अभी कुछ दिन इसी महल मे रहो,
अब राजा की दूसरी चाल -
और मै तुम्हे सही समय आने पर, अपने साथ महल ले चलूंगा, इसके बाद राजा अपने महल मे चले जाते है, बडी रानी बहुत परेशान थी, महाराज क्या आपने उस छोटे से बच्चे को देखा है, जो मेरी मोतियो की माला लेकर खेल रहा था, अभी तो वह यही पर था,
परंतु पता नही कहां चला गया, मै सोची वह आपके साथ ही होगा, नही नही रानी साहिबा, वह तो हमारे साथ नही है, देखिए यही इधर उधर खेल रहा होगा, बहुत देर ढूंढने के बाद भी, वह नही मिलता है।
तब राजा रानी के पास आकर बोलता है, बडी रानी हमारे ऊपर, हमारे पडोसी राज्य हमला करने वाला है, और आपकी जान को बहुत खतरा है, महाराज मुझे बचा लीजिए, मै मरना नही चाहती हूं, हां महारानी मैने आपको छुपा कर रखने के लिए, एक बहुत बडा तहखाना बनवाया है।
और उसमे आपकी सारी सुख सुविधाओ का, सामान भी रखवा दिया है, और आप वही पर कुछ दिन आराम से रहिए, जब युद्ध खत्म हो जाएगा, तो फिर आपको बुला लिया जाएगा, हां महाराज आप जब तक कहेंगे। तब तक मै उस तहखाने मे रहूंगी।
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बस मुझे कुछ नही होना चाहिए, राजा बडी रानी को लेकर, तहखाने मे बंद कर देता है, बडी रानी को पता चल गया, कि राजा सभी बातो को जान गए है, रानी तुमने जो मैना सुंदरी के साथ, इतना बडा छल किया है, उसकी यही सजा है, कि तुम इस तहखाने मे जिंदगी भर रहोगी।
महाराज मुझे माफ कर दीजिए, मै ऐसा कभी नही करूंगी, महाराज कृपया मुझे माफ कर दीजिए, तुम्हे माफी कभी नही मिलेगी, तुमने माफ कर देने वाले काम कभी नही किए, अब तुम इसी तह खाने मे जिंदगी भर रहो, आज रानी को अपनी गलती का एहसास हुआ।
फिर राजा छोटी रानी के महल मे जाते है, और सभी वहा बहुत खुश थे, इसके बाद रथ पर अपने बच्चे, और रानी मैनावती को, पूरे सम्मान के साथ लाते है, और उनका खूब स्वागत किया गया।
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