"एक ऋषि ने कराई, राम जी और हनुमान जी में लड़ाई" Part 2

जब ने खाई हनुमान जी की कसम...

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स्वर्ण सिंहासन के पास खड़े भगवान श्रीराम, हाथ में धनुष धारण किए हुए, फूलों से सजे महल में राज्याभिषेक के समय का दिव्य दृश्य।

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आप मर्यादा पुरुषोत्तम राम है, धर्म का स्वारूप है आप, आपके यहां संतो का अपमान हो रहा है, नही नही महात्मा जी, आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई होगी, आप बताईए किसने किया अपमान, आप पहले मुझे ये बताओ, 

की तुम्हारे यहा संतो का अपमान करने वाले को, दंड क्या दिया जाता है, तब बताएंगे हम, महाराज मेरा धनुष बाण यही रखा है, अगर वास्तव मे किसी ने अपमान किया है, तो मै एक क्षण भी विचार नही करूंगा, तुरंत अपने बाण की प्रत्यंचा चढाऊंगा, 

उसे तत्काल मृत्यु दंड दिया जाएगा, भृगु रिषी हसने लगे, बोले बडी बडी बाते कर रहे हो राम, कुछ कर नही पाओगे, राम जी सख्त भाव मे बोले, आप कहने मे देरी कर रहे है भगवन, मै करने मे नही करूंगा, आप मुझे बताइए किसने अपमान किया, 

भृगु रिषी बोले, मै तब तक विस्वास नही करूंगा, जब तक आप अपने अती प्रीय की, कसम खाकर नही कहोगे, की मै जिसका नाम लूंगा, तुम उसको मृत्यु दंड दोगे, राम जी बोले बडी विडम्बना है, फिर भी महात्मा जी, मै हनुमान की कसम खाकर कहता हूं, 

हनुमान मेरा सबसे प्रिय है, आप जिसका भी नाम लोगे, मै उसे जीवित नही छोड़ूंगा, तो फिर सुनो रघुनंदन राम, तुम्हारे यहा आए हुए सभी संतो का, सम्मान किया जा रहा है, सभी को तिलक किया जा रहा है, माला पहनाई जा रही है, दक्षिणा दी जा रही है, 

श्री राम जी बोले हां महात्मा जी, लेकिन राम मेरे साथ अपमान हुआ है, मेरा ना तो तिलक किया, और ना ही माला पहनाया, तुम्हारे भाई लक्ष्मण ने मेरा अपमान किया है, राम जी ने देखा, तो सभी का तिलक और सभी को माला थी, 

लेकिन महात्मा जी के नही थी, राम जी ने तुरंत अपना धनुष उठाया, बोले कहा है लक्ष्मण, उस समय लक्ष्मण जी किसी कार्य से बाहर गए थे, सैनिक से बोले, जाओ लक्ष्मण को पकडकर लाओ, सैनिक दौडे दौडे लक्ष्मण जी के पास गए,

और बोले लखन भईया, आप बचो जल्दी भागो यहा से, लक्ष्मण जी हल्के हैरान भाव से बोले, क्यो क्या हो गया है, फिर सैनिको ने पूरी बात बताई, की कैसे भृगु रिषी ने राम जी से, अपने प्रिय की कसम रखाई, और फिर आपका नाम लिया, 

लक्ष्मण जी बोले अरे नारद जी कहा है, लखन भईया नारद जी ने ही, ये सबला रायता फैलाया है, आपके जाते ही कोहनी मारकर, नारद जी ने ही उठाया था, अब तो आपकी एक ही रक्षा कर सकते है, कौन कर सकते है, 

राम जी ने हनुमान जी की कसम खाई है, हनुमान जी चाहे तो आपको बचा सकते है, बिना एक पल गंवाए लक्ष्मण जी, हनुमान जी को खोजने लगे, लेकिन हनुमान जी नही मिले, फिर लक्ष्मण जी वन की ओर भागे, और एक गुफा के अंदर गए, 

वहा शिवलिंग की पूजा कर रही थी, माता अंजनी, लक्ष्मण जी ने माता को प्रणाम किया, और फिर अपना पूरा वृतांत बताया, बोले मां मेरी रक्षा करो, अंजनी माता को सुनकर बडी हैरानी हुई, और दृढ़ स्वर मे बोली, लक्ष्मण यहां खडे हो जाओ, तुम्हारी रक्षा का दायित्व मेरा है, 

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