🎧 इस कहानी को सुनें – भाग 02:
जब जामवंत ने सभी बारनो का लिया जिम्मा...
एक गुरूदेव की अनोखी यात्रा - click here
जामवंत और हनुमान जी बोले, क्यो भाई क्या हो गया, आप लोग इतने उदास क्यो हो गए, बानर बोले जब रावण से मरवाना था, तो हमको ले गए, और जहा फल फूल मिलेंगे, मेवा खाने को मिलेगा, भरपूर सेवा होगी, तो हमे छोडकर जा रहे है,
इसलिए हम सभी उदास है, हमे भी जाने की बहुत इच्छा है, जामवंत जी ने हनुमान जी से कहा, आप जाकर निवेदन करो, अरे हम कुछ नही कहेंगे, हमारे तो वो स्वामी है, उनकी आग्या हमारे लिए सर्वोपरि है, आप बडे हो, आप जाकर बात करो,
फिर जामवंत जी राम जी के पास गए, बोले सब बानर बहुत उदास हो गए है, आप ऐसा मत करो, प्रभु मै जिम्मेदारी लेता हूं, एक पत्ता भी किसी वृक्ष का नही टूटेगा, आपके ससुराल की एक भी चीज, यहा से वहा नही होगी, इसकी हमारी गारंटी है,
राम जी बोले देखो सौ दो सौ, तीन सौ बंदर नही है, करोडो बंदर है, आप किस किस को सम्हालोगे, प्रभु वो हमारी जिम्मेदारी है, मै वचन देता हूं, आपकी ससुराल मे एक बात भी ऐसी नही होगी, जिससे आपको पको संकोच हो, राम जी बोले तो ठीक है,
आपकी जिम्मेदारी है, फिर जामवंत जी बाहर आए, और सभी से बोले, राम जी राजी हो गए है, सभी को ले जाने के लिए, इतना सुन बंदर फिर से उछलने लगे, जय हो राजा राम चंद्र की, जय हो जामवंत जी की, लेकिन सभी ध्यान से सुनो,
मैने जिम्मेदारी ली है, एक पत्ता भी नही टूटना चाहिए, जनकपुर के किसी वृक्ष का, बानर बोले हां, बिल्कुल नही टूटेगा, आप तो आग्या करो कैसे चलना है, सुनो मेरे से पूछे बगैर कुछ नही करना है, जब मै बोलू तभी कुछ बोलना।
मेरे से पूछे बिना, कही पर बैठना भी नही है, और जब मै चलू तो चलना है, और जब सोऊं तो सोना है, मतलब सीधा है, जैसा मै करूं वैसा ही हो, सभी बानरो ने हामी भर ली, इधर राम जी को विश्वास नही हो रहा था, की जामवंत जी इतने सारे बंदरो को कैसे सम्हालेंगे,
उन्होने कहा जामवंत जी, हमे एक बार साबित करके दिखाओ, की सभी बानर आपकी बात मानेंगे, ठीक है प्रभु, जामवंत जी बाहर आकर एक जगह खडे हो गए, तो सभी बंदर उनके पीछे खडे हो गए, जामवंत ने अपना उल्टा हाथ उठाया,
तो सभी बानरो ने, अपना उल्टा हाथ उठा लिया, जामवंत जी हंसे, तो सभी बंदर हंसने लगे, जामवंत जी खासे, तो जिन बंदरो को खांसी भी नही आ रही है, तो जबरजस्ती खास रहे है, राम जी ने देखा, तो खुस हो गए, बोले ठीक है,
अब चलते है जनकपुर, तुरंत पूरे अयोध्या मे तैयारी हुई, सभी बानरो के लिए, जामवंत जी ने वस्त्र सिलाए, सभी को एक जैसे वस्त्र बनवाया, जैसे ही उन्हे लाकर दिया, सभी बडे प्रसन्न, सभी ने नकल कर झट से कपडे पहन लिया,
और अगले दिन सभी चल पडे जनकपुर की ओर... जिस भी नगर गांव से निकलते... सभी पुष्प वर्षा कर रहे है... विशाल सेना राम जी की चल रही है... सबसे मजे की बात तो ये थी... की इस पूरी सेना का सबसे केंद्र बिंदु था... वानरो की परेड...
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