एक राजा और सात रानियों की कहानी | Hindi Story

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मंत्री जी हैरानी मे दौड़ते हुए आ रहे है,

एक दिन महल मे मंत्री घबराए हुए... तेजी से राजा के पास पहुचे और बोले... महाराज हमारे पडोसी राज्य ने हमारी सीमाओ पर आक्रमण कर दिया है... सेना उनकी संख्या से कम है… और यदि शीघ्र निर्णय न लिया गया... तो नुकसान हो सकता है... राजा चिंतित हो उठे... मंत्री जी... आप तुरंत सेना लेकर सीमा पर जाएं... और युद्ध का मोर्चा संभाले... 

मंत्री ने सिर झुकाया... महाराज... मै यथाशक्ति प्रयास करूंगा... परंतु शत्रु की सेना विशाल और क्रूर है... मंत्री ने तुरंत महल से प्रस्थान किया... लेकिन कुछ ही दिनो मे संदेश आया... कि मंत्री की सेना पीछे हट रही है... अब राजा ने स्वयं युद्ध मे उतरने का निर्णय लिया... राजा रानी राजलक्ष्मी के कक्ष मे पहुचे... और बडी रानी को बुलाया और कहा...

 बडी रानी... मै युद्धभूमि की ओर जा रहा हूं... छोटी रानी गर्भवती है... उनका खास ध्यान रखना... यह केवल एक दायित्व नही... मेरे हृदय की प्रार्थना है... मै आप पर विश्वास कर रहा हूं... बडी रानी ने झूठी विनम्रता से सिर झुकाया... जैसा आदेश महाराज... राजा अपनी सेना के साथ युद्ध के लिए निकल पडे... 

जब रानियों को मिला खुला अवसर...

रानियों का दूसरी रानी के प्रति षड्यंत्र

अब महल के भीतर का दृश्य पूरी तरह बदल गया... बडी रानियो को खुला अवसर मिल गया... रानी राजलक्ष्मी को वे तरह-तरह की गलत बाते बताने लगी... रानी जी... अब आपको ज्यादा देर नही सोना चाहिए... इससे बच्चा आलसी होगा... राजा ने जाते-जाते कहा है...

कि आप कुछ घरेलू काम भी करे... ताकि शरीर मजबूत रहे... गर्म मसाले और कडवी जडीबूटियां लेना जरूरी है... वरना संतान कमजोर होगी... भोली रानी ने हर बात पर विश्वास कर लिया... वह सुबह जल्दी उठकर झुक-झुककर महल के बागीचे मे काम करने लगी...

वह भारी बर्तन उठाने लगी... और रानियो के कहे अनुसार... तीखे व कडवे भोजन करने लगी... हर दिन उसके शरीर पर थकान बढने लगी... पेट मे दर्द रहने लगा... नींद टूटने लगी... परंतु रानी सोचती... शायद यह गर्भावस्था का सामान्य हिस्सा है… एक दिन अचानक... रानी राजलक्ष्मी को भयंकर पीडा होने लगी...

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रानी राजलक्ष्मी को अत्यंत पीड़ा होने लगी,

वो अपने पेट पर हाथ रखकर कराह उठी... दीदी मेरे पेट मे बहुत तेज दर्द हो रहा है… लगता है समय आ गया है… कृपया कुछ उपाय बताइए… बडी रानी ने उसकी हालत देखी... लेकिन आंखो मे सहानुभूति नही... बल्कि ईर्ष्या थी... अब तो राजा का सारा प्रेम... सारा राज्य... सब इस एक के बच्चे को ही मिल जाएगा…

वो मुस्कराते हुए बोली... तुम चिंता मत करो... मै अभी दाई को बुलाकर लाती हूं... लेकिन जैसे ही वह दाई के पास पहुची... उसकी बातो का लहजा बदल गया... सुनो दाई… जैसा मै कहूं वैसा ही करना... उसके बदले मै तुम्हे सोने के सिक्को से भर दूंगी...

तुम बस उसके कमरे के बाहर पहरा दो… और ध्यान रखना... कोई अंदर न जाए… दाई लालच मे आ गई… और बडी रानी की साजिश मे शामिल हो गई... छोटी रानी के कमरे के बाहर बैठ गई... पर भीतर जो हो रहा था... उसे जानकर शायद उसका हृदय भी कांप उठता...

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रानी के षड्यंत्र मे शामिल हुई दाई,

रानी राजलक्ष्मी दर्द से तडप रही थी... वो अकेली थी… न कोई सहारा... न कोई मदद… उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे… होठो पर बस एक ही नाम था... माँ… महाराज… कमरे के बाहर दाई बैठी रही... और बाकी रानियां मूकदर्शक बनी रही...

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