🎧 इस कहानी को सुनें – भाग 01:
कहानी ट्रेलर...
अगर एक पक्षी के अंडे से कोई लडकी जन्म ले, और वो लडकी इतनी सुंदर हो, कि राजा भी अपना दिल हार जाए, लेकिन उसकी जान एक माला मे छिपी हो, तो सोचो, क्या होगा अगर वो माला, किसी और के गले मे चली जाए, एक मासूम मैनावती, जो एक रहस्य से पैदा हुई, जिसे प्यार मिला, सम्मान मिला, पर उससे जलने वाली भी एक रानी थी, जिसने उसकी जान छीनने की साजिश रची, मां बडी रानी ने मेरी माला ले ली है, मै अब जिन्दा नही रह पाऊंगी, क्या मैनावती फिर से जिन्दा होगी, क्या राजा जान पाएगा सच्चाई, और वो बच्चा, आखिर कौन था, जो उसे रोज खाना खिलाता था, ये कोई साधारण कहानी नही, ये कहानी है एक रहस्य की, एक धोखे की, और एक अद्भुत पुनर्जन्म की, देखिए पूरी कहानी, मैना की बेटी मैनावती' सिर्फ Manash Khare Website में 👇
कहानी शुरू ....
रामपुर गांव मे शंभूनाथ नाम का एक व्यापारी, अपनी पत्नी राधा के साथ रहता था, उसका चावल और गेहूं बेचने का, बहुत ही बडा व्यापार था, वह बहुत ही धनी था, उसे किसी भी चीज की कमी नही थी, परंतु उसकी कोई संतान नही थी, दोनो ने कई वैद्य डॉक्टर को दिखाया, कई मंदिर मे पूजा पाठ किया, फिर भी उन्हे कोई संतान की प्राप्ति नही हुई, राधा मुझे लगता है,
कि अब हमे अगले जन्म मे ही, संतान की प्राप्ति होगी, आप ऐसी बाते क्यो कर रहे है, मुझे पूरा विश्वास है, हमे इस जन्म मे ही संतान की प्राप्ति होगी, ईश्वर हमारी मनोकामना जरूर पूरी करेगा, राधा बस भी करो, भगवान से कितनी बार प्रार्थना करोगी, जब भगवान की यही मरजी है, कि हम संतान के बिना रहे, तो यही ठीक है, शंभूनाथ मान चुका था,
कि अब उसे इस जन्म मे संतान नही होगी, परंतु राधा उसकी एक न सुनती थी, और दिन भर ईश्वर की, पूजा पाठ मे लगी रहती थी, जो भी खाली समय बचता, उसमे वह पक्षियो को दाना डालती थी, और दाना चुनते हुए पक्षियो को दिन भर निहारती रहती थी, एक दिन की बात है, राधा के छत पर कही से, एक मैना पक्षी का जोडा आता है, और छत पर ही,
एक राजा और सात रानियों की कहानी - Click Here
घोंसला बनाकर रहने लगता है। यह देखकर राधा बहुत खुश हो जाती है, वह उन्हे रोज दाना डालती, उसे दाना खाते हुए पक्षियो को देखने मे, बडा अच्छा लगता था, कुछ दिनो के बाद मैना पक्षी ने उस घोंसले एक अंडा दिया, मैना पक्षी का जोडा, रोज सुबह खाने की तलाश मे बाहर जाते, और शाम होने से पहले वापस आ जाते, अचानक एक दिन राधा देखती है,
अरे इतना अंधेरा हो गया, परंतु मैना पक्षी का जोडा, अभी तक वापस नही लौटा, अगर मैना पक्षी का जोडा नही आएगा, तो इसके अंडे को कौन देखेगा, राधा ने कई दिनो तक, उस पक्षियो को घोसले मे आने का इंतजार किया, परंतु वह मैना पक्षी का जोडा, लौटकर वापस नही आया, अब राधा ही उस घोसले मे रखे अंडे की, निगरानी करने लगी,
वह दिन भर अंडे को निहारती रहती, जैसे अंडे मे पल रहा बच्चा, उसका ही हो, मैना का वह अंडा बहुत तेजी से बढ रहा था, वह रोज रात को, दो गुना आकार मे बढ जाता, यह देखकर राधा को, डर भी लगता था, एक दिन राधा ने देखा, कि वह अंडा तरबूज जितना बडा हो गया है, यह देखकर वह जल्दी से अपने पति को बुलाकर लाती है, दोनो यह देखकर बहुत ही अचंभित थे,
एक पंछी का अंडा इतना बडा कैसे...
राधा एक पक्षी का अंडा, इतना बडा कैसे हो सकता है, वही तो देखकर मै भी हैरान हो रही हूं, दोनो अंडे को देख रहे थे, तभी वह अंडा लुढक कर, राधा के पैरो के पास आ जाता है, राधा ने डरते डरते उस अंडे को हाथ लगाया, तो अंडा फूट गया, और उसमे से एक बहुत ही प्यारी छोटी बच्ची निकली, दोनो ने इस बच्ची को देखा, तो आश्चर्य चकित के साथ-साथ, बहुत खुश भी हुए,
राधा ने जल्दी से, उस बच्ची को अपने गोद मे ले लिया, आखिर यह कैसे हो सकता है, एक मेहदा के अंडे से, लडकी कैसे निकल सकती है, हां यह तो बात आप सही कह रहे है, लेकिन जाने दीजिए, भगवान की महिमा से, हमे बच्ची तो मिली है ना, यह लडकी मैना के अंडे से निकली है, इसलिए हम इसका नाम मैनावती रखेंगे।
दोनो ने उस लडकी का नाम, मैनावती रख दिया, और उसे अपनी बेटी बनाकर पालने लगे, उन्होने मैनावती का पालन पोषण बहुत अच्छे से किया, अब वह बहुत खुश रहने लगे, अब मैनावती बडी हो गई, वह देखने मे बहुत सुंदर लगती थी, जब भी उसे कोई देखता, तो देखता ही रह जाता, एक दिन मैनावती सरोवर से जल लेने गई थी,
उसी समय उस राज्य का राजा, अपने मंत्री के साथ घूमने के लिए आया था, जब उसने मैनावती को देखा, तो वह उसे बहुत ही अच्छी लगी, और उसने मन बना लिया, कि मै इससे ही शादी करूंगा, वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया, सेनापति पता करो यह सुंदरी कौन है, इसके माता-पिता कौन है, मै इससे विवाह करना चाहता हूं, ठीक है महाराज, मै जल्दी से इस लडकी के बारे मे पता लगाता हूं।
प्रेमानंद महाराज का किशोरी जी से मिलन... Click Here
सेनापति ने जल्दी से, उस लडकी के बारे मे पता लगा लिया, महाराज वह हमारी राज्य की रामपुर गांव की लडकी है, उसके माता-पिता एक व्यापारी है, ठीक है मंत्री जी, उनके पास हमारे विवाह को लेकर प्रस्ताव भेजिए, इस राज्य के राजा, आपकी बेटी से शादी करना चाहते है, ठीक है हम अपनी बेटी की शादी, राजा से करने के लिए तैयार है,
यह तो हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होगी, शंभूनाथ के खुशी का ठिकाना नही था, वह राधा के पास जाकर बोला, अरे राधा, हमारी बेटी के तो भाग खुल गए, इस राज्य के राजा भान सिंह, हमारी बेटी मैनावती से विवाह करना चाहते है, यह सोचकर पति पत्नी बहुत खुश थे, बडी धूमधाम से मैनावती का विवाह, राजा से कर दिया गया,
राजा की पहले से ही एक रानी थी।और अब मैनावती, दूसरी रानी बनकर महल मे आई, महल मे चारो तरफ मैनावती की चर्चा हो रही थी, यह सब सुनकर बडी रानी को रानी मैनावती से बहुत ही जलन हो रही थी, राजा को यह बात पता था, कि मैनावती मानव गर्भ से नही, बल्कि एक मैना पक्षी के, अंडे से पैदा हुई है, अब राजा का अधिकांश समय, रानी मैनावती के साथ ही बीतता था,
राजा प्यार से मैनावती को, मैना सुंदरी कहकर बुलाते थे, और कोई भी बात होती, तो राजा उनसे ही सलाह लेते थे, यह सब देखकर बडी रानी, मैनावती से और भी जलने लगी, अब बहुत हो गया, मुझे हमेशा के लिए इसको महल से निकालना होगा, एक दिन वह मैनावती के पास जाती है, और बोलती है मैना सखी, तुम तो हमारी तरह, किसी इंसान के पेठ से नही आई हो।
रानी एक पंछी के अंडे से निकली...
तुम तो किसी अंडे से, जादू की तरह बाहर आई हो, क्या बताओ तुम्हारी जान किसम बसती है, दीदी जैसे सभी की जान उनके हृदय मे होती है, वैसे ही मेरी भी जान मेरे हृदय मे ही है, देखो मैना सुनो मै तुम्हारी बहन की तरह हूं, मुझे यह जानने की बहुत इच्छा हो रही है, कि तुम्हारी जान किस मे बसती है। अब तुम रानी बन गई हो,
और राज परिवार के लोगो पर, हमेशा जान का खतरा बना रहता है, इसलिए तुम मुझे बता दो, कि तुम्हारी जान किसमे है, ताकि तुम पर कोई खतरा होने पर, मै तुम्हारी रक्षा कर सकूं, मैनावती बहुत ही मासूम और साफ दिल की थी, उसे नही पता था, कि बडी रानी के मन मे क्या चल रहा है, और उससे कितना ईर्ष्या करती है,
इसलिए वह बडी रानी को, सारी सच्चाई बता देती है, दीदी मेरे माइके मे, मेरे घर के आंगन मे, एक कुआ है, और उस कुएं मे एक लकडी का बक्सा है, और उस लकडी के बक्से मे, एक छोटी सी डिबिया है, और उस डिबिया मे एक मोतियो की माला है, उसी माला मे मेरे प्राण है।
यह सब बाते जानकर, बडी रानी ने मैनावती से कहा, मैना सुंदरी तुम्हारी जान तो बहुत ही सुरक्षित जगह फर है, परंतु ध्यान रखना, हम रानियो के अनेको दुश्मन होते है, हमे जान का हमेशा खतरा बना रहता है, यह कहकर बडी रानी वहा से चली गई, और मैनावती उसकी यह बाते सोचने लगी, तभी वहा पर राजा आ जाते है, किन खयालो मे खोई हो मैना सुंदरी, हमे भी तो बताओ,
जब रानी ने राजा को कुछ बताया..
महाराज अगर मै मर जाऊ, तो मेरे शरीर को जलाना नही, यह कैसी अपशगुन बाते बोल रही हो मैना सुंदरी, महाराज मरना तो एक दिन सबको है, परंतु मै अपनी सारी बाते बताना चाहती हूं, महाराज मै मर जाऊ, तो मेरे शरीर को जलाना नही, बल्कि एक महल बनवाकर उसके आंगन मे मेरे शरीर को रखवा देना, और उस महल के चारो ओर ऊंची ऊंची दीवारे बनवा देना, ताकि उस महल के अंदर कोई प्रवेश ना कर सके,
और हां महाराज, महल मे एक बगीचा भी बनवा देना, और जरूरत की सारे सामान भी रखवा देना, बस अब शांत भी हो जाओ मैना, जब तक मै जिंदा हूं, तब तक तुम्हे कोई नही मार सकता, मै तुम्हारे साथ हमेशा रहूंगा, यह कहकर राजा ने मैना सुंदरी को गले लगा लिया, राजा ने देखा कि मैनावती को बहुत तेज बुखार है,
राजा ने तुरंत राजवैद्य को उपचार के लिए बुलाया, राजवैद्य ने कुछ औषधीय को दिया, और महाराज से बोला महाराज खुशखबरी है, रानी मैनावती मां बनने वाली है, यह सुनकर राजा बहुत ही खुश हो गए, और राज वैद्य को उपहार मे बहुत से सोने के सिक्के दे दिए, पूरे राज्य मे खुशी की लहर दौड पडी, क्योकि राजा की यह पहली संतान थी,
बडी रानी से राजा को एक भी संतान नही था, राजा बहुत खुश थे, अब वह छोटी रानी की बहुत देखभाल करने लगे, यह देखकर बडी रानी ने सोच लिया, कि जब से छोटी रानी आई है, तब से राजा मुझ पर ध्यान नही देते, अब हमेशा के लिए इसको, अपने रास्ते से हटाना पडेगा,
बडी रानी ने रची एक साज़िश...
सुनो दासी तुम जल्दी से एक गोताखोर को बुलाओ, दासी गोताखोर को रानी के पास ले गई, सुनो गोताखोर मै जैसे-जैसे बोल रही हूं, तुम्हे वैसा ही करना है, तुम तुरंत मैना सुंदरी के माइके जाओ, और जब उसके माता-पिता घर मे नही हो, तो मौका देखकर चुपके से उसी घर मे घुस जाना, घर के आंगन मे कुआ है,
उस कुए मे एक लकडी का बक्सा है, और उस बक्से मे एक छोटी सी डिबिया है, उस डिबिया को निकालकर मेरे पास ले आओ, इसके बदले मै तुम्हे बहुत से सोने के सिक्के दूंगी, और याद रखना अगर तुम इस काम मे असफल रहे, या बात किसी को कानो कान खबर चली, तो मै तुम्हे जान से मरवा दूंगी।
ठीक है महारानी जी, मै यह बात किसी को नही बताऊंगा, और मै आपको आज ही वह डिबिया लाकर देता हूं, वह मैनावती के मायके चला गया, और जब उसके माता-पिता घर पर नही थे, तो मौका देखकर घर मे घुस गया,
और कुएं से लकडी के बक्से को खोलकर, उसमे से छोटी सी डिबिया निकाल लिया, बक्से से डिबिया के निकलते ही, मैनावती की तबीयत खराब हो गई, गोताखोर वह डिबिया ले जाकर बडी रानी को सौंप दिया, बडी रानी ने गोताखोर को, बहुत से सोने के सिक्के दिए, बडी रानी ने जैसे ही डिबिया खोली, मैनावती की तबीयत बहुत खराब हो गई,
संत सूरदास को कैसे मिले श्री जी के दर्शन - Click Here
उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी, बडी रानी ने उस डिबिया से माला को, निकालकर अपने गले में पहन लिया, जब बडी रानी ने उस माला को, अपने गले मे पहन लिया, तो रानी मैनावती की सांस एकदम से रुक गई, और वह मूर्छित होकर नीचे गिर गई, राजा ने यह देखा, तो जल्दी से राज वैद्य को बुलवाया,
राज वैद्य ने रानी को देखा, तो उनकी सांस रूक चुकी थी, महाराज अब रानी मैनावती इस दुनिया मे नही रही, उनकी मृत्यु हो चुकी है, नही ऐसा नही हो सकता, यह कहकर राजा फूट फूट कर रोने लगे, पूरे महल मे मातम सा छा गया, सभी लोग सोच रहे थे, कि यह कैसे हो गया, उधर बडी रानी, मैनावती के मौत की खबर सुनकर बहुत खुश थी,
अब तो मैनावती की जान मेरे हाथो मे है, अब मेरे रास्ते का कांटा हट गया, थोडी देर बाद मंत्री राजा के पास आता है, और बोलता है, महाराज रानी के अंतिम संस्कार का समय हो गया है, हमे उनके शरीर को जलाने के लिए जाना होगा, नही मंत्री जी, हम मैनावती के शरीर को नही जलाएंगे, नगर के बाहर एक दूसरा महल बनवाए,
जनाबाई के पीछे भगवान ने खाई मार - Click Here
और उसके आंगन मे, हमारी रानी मैनावती के शरीर को रखवा दीजिए, उस महल को चारो ओर से ऊंची ऊंची दीवारो से गिरवा दीजिए, ताकि उसमे कोई प्रवेश ना कर पाए, साथ ही महल मे ढेर सारा खाने पीने का सामान, और अनाज रखवा दीजिए, सारी सुख सुविधाओ का सामान रखवा दीजिए, यही हमारी मैना सुंदरी की आखिरी इच्छा थी,
क्या रानी के शव को जला देंगे, क्या राजा वियोग को बर्दाश्त कर पाएगा, और वो बच्चा कौन है, क्या राजा सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे, इन सभी बातो को हम भाग टू मे दिखाएंगे, इस लिए पेज को फोलो करके रखना, जल्दी ही आपके सामने आएगा अगला भाग,