सेवा से सन्यास की ओर यात्रा...
किसी आयुर्वैदिक संस्थान से रिटायर होकर ... एक वैद्य जी अपनी पत्नी से बोले ... आज तक मै संसार मे रहा ... अब ठाकुर जी के चरणो मे रहना चाहता हूं ... तुम मेरे साथ चलोगी ... या अपना शेष जीवन बच्चो के साथ गुजारोगी ... पत्नी बोली ... चालीस वर्ष साथ रहने के बाद भी ... आप मेरे ह्रदय को नही पहचान पाए ... मै आपके साथ चलूंगी ...
वृंदावन की ओर प्रस्थान...
वैद्य जी बोले ... कल सुबह वृन्दावन के लिए चलना है ... अगली दिन सुबह दोनो वृन्दावन जाने के लिए तैयार हुए ...अपने बच्चो को बुलाया और कहा ... प्यारे बच्चो हम जीवन के उस पार है ... तुम इस पार हो ... आज से हम वृंदावन मे रहेंगे प्रभु चरणो मे ... अतह हमारी चिंता न करना ... असली साथी तो सबके श्री हरि ही है ...
वृन्दावन आए तो दैवयोग से स्वामी जी से भेट हुई ... उन्होने गुजारे लायक चीजो का इन्तजाम करवा दिया ... दोनो का आपस मे बोलना चालना भी कम हो गया ... केवल नाम जाप मे लगे रहते ... और स्वामी जी का सत्संग सुनते ... जैसा कुछ ठाकुर जी की कृपा से उपलब्ध होता ... उसे प्रेम से बनाते पकाते ... और प्रेम से श्री हरि जी को भोग लगाकर खा लेते ...
भक्ति में लीन जीवन...
किन्तु अभाव का एहसास उन्हे कभी नही हुआ था ... जाडे का मौसम था ... तीन दिन से दोनो ने कुछ नही खाया था ... भूख और ठंड खूब सता रही थी ... अचानक दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी ... वैद्य जी ने उठ कर दरवाजा खोला ... सामने एक किशोरी खडी थी ... स्वामी जी के यहां आज भंडारा था ... उन्होने प्रसाद भेजा है ...
वैद्य जी ने प्रशाद का टिफिन पकडा ... तभी एक किशोर अंदर आया ... और दोनो के लिए गर्म बिस्तर लगाने लगा ... वैद्य जी की पत्नी बोली ... ध्यान से बच्चो हमारे यहा रोशनी का कोई प्रबंध नही है ... कही चोट न लग जाए ... इतने मे किशोर बाहर गया ... और मोमबत्तियो का डिब्बा और दिया सलाई लेकर आ गया ... कोठरी मे रोशनी कर दोनो चले गए ...
तीन दिन की भूख, और बांके बिहारी जी का चमत्कार...
दोनो ने भर पेट खाना खाया ... और गर्म बिस्तर मे सो गए ... अगले दिन स्वामी जी का टिफिन वापिस करने गए ... तो उन्होने कहा ... टिफिन तो हमारा है ... पर यहा कल कोई भंडारा नही था ... और न ही उन्होने कोई प्रशाद या अन्य सामान भिजवाया है ... यह सुनकर दोनो सन्न रह गए ...
अगली सुबह – दिव्य रहस्य का खुलासा...
वह समझ गए ... ये सब बांके बिहारी जी की कृपा है ... दोनो को बहुत ग्लानि हो रही थी ... प्रभु को उनके कष्ट दूर करने स्वयं आना पडा ... प्रभु पर विश्वास और आस्था हो तो ... प्रभु अपने भक्तो की सहायता के लिए स्वयं प्रकट होते है ... या किसी के माध्यम से उनकी सहायता जरूर करते है ... कहानी पसंद आई हो तो ... पेज को सब्सक्राइब करके ... कमेंट मे एक बार जय श्री कृष्ण जरूर लिखे ... धन्यवाद ...
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