भक्ति का अद्भुत चमत्कार...
एक लडकी थी ... बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थी ... दिन-रात बस भजन ... भक्ति और प्रेम मे डूबी रहती थी ... कहते है सच्ची भक्ति कभी खाली नही जाती ... भगवान की कृपा से उसका विवाह हुआ ... और वो भी श्रीधाम वृंदावन मे ... विवाह के बाद पहली बार ससुराल आई ... लेकिन नई दुल्हन थी ... घर से बाहर जाना मना था ...
जब कुछ दिन बाद मायके लौटी ... और फिर एक दिन ... उसका पति उसे वापस लेने आया ... शाम ढल रही थी ... वो दोनो वृंदावन पहुचे ... यमुना किनारे पति बोला ... मै यमुना जी मे स्नान करके आता हूं ... तुम इस पेड के नीचे बैठो ... और सामान की देखभाल करना ... यही पास मे हूं ... ज़रूरत हो तो आवाज देना ... लडकी बैठ गई ... लंबा घूंघट निकाला हुआ था ... गांव है मर्यादा है ...
वो मन ही मन सोचने लगी ... कितनी कृपा है ठाकुर जी की ... बचपन से उनकी पूजा की ... और आज उसी वृंदावन मे मेरा घर है ... फिर मन मे विचार आया ... भगवान की उम्र तो सोलह की होगी ... मेरे पति पच्चीस के है ... तो ठाकुर जी मेरे देवर हुए ... हां आज से ठाकुर जी मेरे देवर है ... यह सोचते ही वो मुस्कुराई ... मन ही मन बोली ... अब जब तू मुझे भाभी कहकर बुलाएगा ...
ठाकुर जी बोले भाभी...
ठाकुर मै तुझे तभी आशीर्वाद दूंगी ... तभी एक नन्हा सा बालक आया ... दस से बारह साल का ... और लडकी को भाभी-भाभी कहकर पुकारा ... लडकी चौक गई ... मै तो यहा नई हूं ... मुझे कौन बुला रहा है ... मर्यादा मे रहकर घूंघट उठाया नही ... बालक फिर बोला ... भाभी, एक बार चेहरा तो दिखा दो ... अब वह डरने लगी ... पर वो बालक तो जिद पे अडा था ... और अचानक उसने घूंघट उठा दिया ...
लडकी की आंखे खुली की खुली रह गई ... इसके बाद वो बालक भाग गया ... जब कुछ देर बाद उसका पति आया ... लडकी ने कांपती आवाज मे सारी बात उसे बताई ... अरे तुमने मुझे आवाज क्यो नही दी ... पत्नी बोली ... वो तो इतने मे भाग गया था ... पति गुस्से मे बोला ... कोई बात नही ... वृंदावन कोई बहुत बडा तो है नही ... अगर दोबारा कभी दिखा ... तो हड्डी-पसली एक कर दूंगा ... जहा भी दिखे बस मुझे बताना ...
सास ने कहा ठाकुर जी के दर्शन कर आओ...
कुछ दिन बीते ... एक दिन सास ने कहा बेटा ... अब बहू मायके से आ गई है ... कल बहू को बांके बिहारी के दर्शन करा लाओ ... अगले दिन दोनो पति-पत्नी श्री बांके बिहारी जी के मंदिर पहुचे ... मंदिर खचाखच भीड से भरा था ... तुम स्त्रियो के साथ आगे जाकर दर्शन कर लो ... मै यही रुकता हूं ...
लडकी आगे बढी ... पर अब भी लंबा घूंघट निकाले हुए ... डर था कोई बडा-बूढा देख ना ले ... नई बहू बिना घूंघट के घूम रही है ... बदनामी न हो जाए ... बहुत देर हो गई ... तभी पीछे से पति ने कहा ... अरी पगली सामने बिहारी जी है ... घूघट उठाए बिना कैसे दर्शन करेगी ... वो कांपते हाथो से धीरे-धीरे घूंघट उठाती है ... और जब उसकी नजर ठाकुर जी पर पडती है ... तो आंखे फटी की फटी रह जाती है ...
क्योकि वहां मूर्ति नही ... वही बालक बैठा मुस्कुरा रहा था ... वही जिसने उसे भाभी-भाभी कहकर पुकारा था ... वो कांपते स्वर मे चीख पडी ... सुनिए जल्दी आइए ... वही बालक मिल गया ... पति जल्दी से आया कहा है ... लडकी ने कांपती उंगली से ठाकुर जी की ओर इशारा किया ... वो रहा आपके सामने ही है ....
जब पता चला इन्होने भाभी कहा था...
पति ने जब देखा ... तो उसके होश उड गए ... वो तो स्वयं ठाकुर श्री बांके बिहारी जी थे ... पति भावविभोर होकर मंदिर मे ही पत्नी के चरणो मे गिर पडा ... और बोला ... तू धन्य है ... तेरा भाव सच्चा है ... मै इतने वर्षो से वृंदावन मे हूं ... आज तक ठाकुर जी ने मुझे दर्शन नही दिए ... पर तुझे भाव मे बंधकर स्वयं दर्शन देने आ गए ...
भक्ति हो तो ऐसी ... जहा रिश्ता मन से जुडता है ... कमेंट मे एक बार जय श्री कृष्ण जरूर लिखे ... धन्यवाद ...
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