🎧 इस कहानी को सुनें – भाग 01:
संत सूरदास और कृष्ण की कथा...
आज की कहानी संत सूरदास की है, बहुत ही अद्भुत कथा है, इसे ध्यान पूर्वक सुनना, सूरदास जी हर रोज अपनी कुटिया मे बैठकर, अच्छे अच्छे पद गाया करते थे, और वह पद गाते गाते मगन हो जाते थे, और जब भगवान कृष्ण जी के मंदिर मे,
उनको राजभोग लगा दिया जाता, फिर उनके पट बंद कर दिए जाते है, ऐसा मानना है, की अब ठाकुर जी गईया चराने गए है, और जब उत्थापन आरती होती है, ठाकुर जी की, तो उसमे भगवान को सबसे पहले, फल का ही भोग लगता है,
ऐसा क्यो पता है, ऐसा हम लोगो का मानना है, की ठाकुर जी वन मे है, तो उनको वन का भोग लगाया जाता है, जब राजभोग के बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाते, तो सूरदास जी अपनी कुटिया मे आकर, सुंदर सुंदर पद गाते, अच्छे अच्छे पद बनाकर पद गाते,
आखिर जनाबाई को इतना कष्ट क्यों दिया ?
और श्री ठाकुर जी, चुपचाप आते, और उनकी कुटिया मे अंदर बैठ जाते, और फिर सूरदास जी के पद को सुनते, उनका तो रोज का यही काम था, ऐसे ही एक दिन, जब राजभोग आरती हुई, और मंदिर के कपाट बंद हुए, तो ठाकुर जी जाने लगे, इतने मे ही श्री जी आ गई, बोली कहा जा रहे हो।
ठाकुर जी बोले कही ना, ऐसे ही जा रहा हूं डोलबे, नही नही साची बताओ कहा जा रहे हो, अरे कही ना, वो एक भक्त है, उसके पास जा रहा हूं, श्री जी बोली तो मै भी चलूंगी , आप रहने दो, आप यही बैठो, मै अकेले ही जा रहा हूं, अगर आप मुझे लेकर नही गए, तो मै गोसाई जी से शिकायत कर दूंगी, की आप राज भोग के बाद कही चले जाते हो,
फिर गोसाई जी खोज करेंगे, ठाकुर जी बोले श्री जी, आपके चरणो मे प्रणाम करूं, आप मेरे संग चलो, पर गोसाई जी से शिकायत मत करियो मेरी, लेकिन चलने से पहले, एक बात का वचन देओ मोहे, बोली क्या वचन, उत्थापन आरती के पहले आ जाएगे, वहा रूकवे को ना करिए, आप बहुत भोरी हो, बहुत सहज हो, और सुनो, वैष्णव कितना भी दीन हीन हो।
श्री जी का ठाकुर के साथ जाना...
कितना भी भाव दार हो, उसपर कृपा करने की मत सोचिओ, कही आपका मन हो जाए, की इसपर सब लुटा दूं, सब दे दूं, ऐसे मत करिओ, चुपचाप जानो है, और चुपचाप आनो है,
मै इशारा कर दूं, तुरंत उठकर आ जईयो, श्री जी बोली ठीक हे, मै तुरंत आ जाउंगी, ठाकुर जी ने हाथ पकडा, और ले गए सूरदास की कुटिया मे, सूरदास जी के नेत्र तो है नही,
ठाकुर जी ने धीरे से किमार को खोला, और धीरे धीरे दोनो अंदर गए, और एक कोने मे श्री जी को बैठा दिया, और वही ठाकुर जी भी बैठ गए, बोले देखो इस भक्त को, और सूरदास जी प्रेम मे डूबे अपने पद गा रहे है,
जब श्री जी भावुक हो गई...
ठाकुर जी मंद मंद मुस्कान के साथ आनंद ले रहे है, श्री जी के नेत्रो से आंसू गिर रहे है, ठाकुर जी बोले श्री जी, हल्ला मत करिओ, झिझक जाएगा, जग जाएगा फिर हमे पकड लेगा, फिर हमे जाने नही देगा, या पर कृपा कर दी, तो फिर सबरन पे करनी पडेगी,
इसलिए रोओ मत बिल्कुल, आराम से बैठी रहो, श्री जी ने कहा की ठीक है, आज एक विचित्र घटना हुई, सूरदास जी ने अपनी लाठी उठाई, और गाते गाते अपनी कुटिया के बाहर जाने लगे, ये कहा जा रहो बाबा, अरे आधरो बाबा कही गिर नही जाए, हम इसके साथ चले,
ठाकुर जी बोले, मैने पहले मना करी हती, की ये कृपा व्रपा नही करनी है, और समय हो गया है, उत्थापन आरती का, वहा गोसाई जी पट खोल देंगे, चलो चलते है, श्री जी बोली नही नही, ये जहा तक जा रहो, इसको वहा छोड दे, फिर चल देंगे मंदिर को।
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भाग 02
🎧 इस कहानी को सुनें – भाग 02:
ठाकुर जी बोले पहले ही मना किया था, मत चलो मेरे साथ, आ गई है जबरजस्ती, फिर दोनो सूरदास जी के पीछे पीछे चलने लगे, सूरदास को पूरा अभास लग गया था, की श्यामा श्याम दोनो है यहा आज, इसलिए सूरदास जी जानकर वहा गए, जहा गहरो कुआं था।
उस दिसा को जाते देख, श्री जी बोली, अरे श्याम सुंदर देखो, ये बाबा गिर जाएगा, इसके कही लग ना जाए, इनको पकड लो, इनको रोको, ठाकुर जी बोले श्री जी, तुम्हे सौगंध है मेरी याके पास मत जाईयो, अरे तुम इसको जानती नही हो, इसने अगर हमे स्पर्श कर लिया।
तो तुरंत पहचान जाएगा, अरे नही नही, इसके बाद किशोरी जी जाने लगी, बचाबे के खातिर, इतने मे ही, सूरदास जी गिर ही गए कुआं मे, और चिल्लाने लगे, अरे कन्हैया, अरे लाला, कोई पास मे हो तो देखिओ, मै आंधरो गिर गया हूं कुआं पे, कोई हो तो बचा लो।
जब श्री जी ने सूरदास को बचाना चाहा... Click here
ठाकुर जी या तो इसे बाहर निकाल लो, नही तो मै आपसे कट्टी कर लूंगी, श्यामा जू, मै इसी वजह से नही लेकर आता था, तुरंत मे पिघल जाती हो, तुरंत दया आ जाती है, नही इसे बाहर निकाल दो, फिर नही कहूंगी, फिर दोनो भाग जाएंगे, ठाकुर जी ने झांककर देखा।
कुआं खूब गहरो, सोचने लगे कैसे निकालूं, एक तरीका है, आप अपनी कारी कमली निकालो, मै अपनी चुनरी दे रही हूं, दोनो मे अच्छी गांठ लगा लो, और फिर बाबा को निकाल लेंगे, ठाकुर जी ने कहा, तो फिर लाओ, श्री जी ने अपनी चुनरी दी, ठाकुर जी ने अपनी काली कमली निकाली।
और अच्छे से गांठ लगाई, और कुआं मे डाल दिया, और बोले बाबा, सूरदास जी आवाज सुनते ही, रोम रोम कंपित हो गया, मन मे सोचा, की इतनो मीठो स्वर तो, मेरे प्रभु का ही है, बाबा बोले आ भईया कौन है, बाबा मै यही पास के गांव का हूं, मुझे अभी आपकी आवाज सुनाई दी है।
बाबा मैने अपना पटका नीचे डाल दिया है, उसे पकड लो और आ जाओ ऊपर, सूरदास जी ने जैसे ही पटके को पकडा, तो उसमे से ईत्र की सुगंध, आज सुबह गोसाई जी ने, जो ईत्र का फोआरो दिया, वही की सुगंधि, अब तो और भी विश्वास हो गया, की ये तो श्याम सुंदर ही है।
अब सूरदास जी ने, अच्छे से पटका को पकड लिया, अब यहा ठाकुर जी पटका को खींच रहे है, और श्री जी भी खीच रही है, ऊपर आते समय सूरदास जी ने सोचे, आज ये कही, निकल के ना भाग जाए मेरे हाथ से, इधर ठाकुर जी सोचे, की जैसे ये निकले, हम भागे यहा से।
जैसे ही सूरदास ऊपर आए, तो उन्होने नाटक किया, की वो गिर रहे है, ठाकुर जी तुरंत किनारे हुए, और सूरदास श्री जी के चरणो मे गिरे जाके, और श्री जी के चरण कसके पकड लिया, ठाकुर जी ने श्री जी को पकडकर जोर से खीचा।
जब सूरदास जी के हाथ मे श्री जी की नूपुर... Click here
सूरदास के हाथ मे श्री जी की पायल आ गई, ठाकुर जी बोले श्री जी जल्दी चलो, नही ये बाबा फिर पकड लेगा, सूरदास जी बोले, अरे कहा गयो भईया, अरे कौन ने निकालो मोए, ठाकुर जी जाते हुए बोले, बाबा मईया बुला रही है, फिर आऊंगा।
थोडी दूर जाकर श्री जी बोली, ठाकुर जी मेरी एक पायल है, दूसरी पायल मिल नही रही, अरे देवी दूसरी ले आऊंगा, अब चलो जल्दी, अरे नही वो सामान्य नही है, इंद्र जी ने समर्पित किया है, वो बहुत प्रीय है, मुझे वही चाहिए।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में
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भाग 03
🎧 इस कहानी को सुनें – भाग 03:
अरे देवी अब मै कहा ढूंढने जाऊं, वही चलो बाबा के पास, बाबा जब पैर पकडे थे, तो हो सकता है वही गिरी होगी, फिर से दोनो बाबा के पास गए, बाबा अभी भी वही बैठा था, ओ बाबा, अरे भईया तू आ गया, बाबा मेरी एक सखी आई है संग मे, वाकी पायल यहा गिर गई है।
आपने देखा है क्या, सूरदास जी हाथ मे दबाए बैठे थे, बोले नही लाला, मैने तो नही देखा, बाबा आपके हाथ मे लग तो रहा है, जेइ तो है मेरी सखी की पायल, अच्छा ये, हां बाबा यही, अरे ये तो मुझे अभी अभी मिली यहा पे, बाबा दे दो ना, ये मेरी सखी की पायल है।
बाबा बोले लाला, अगर ये पायल मैने तुमको दे दिया, और बाद मे वास्तव मे कोई सखी, मेरे पास आकर बोली, तो मै क्या करूंगा, और मै कैसे पहचानू की वो सखी तेरे संग है, मेरे पास आंख तो है नही, मुझे दिखता तो है, बाबा मै कह तो रहा हूं ये हमारी है।
कहबे से का होबे, एक पायल मेरे पास है, तो निश्चित दूसरी तुम्हारे पास होगी, दूसरे पायल की पहचान करा दो, तो पहली दे दूंगा, ठाकुर जी बोले पहचान कैसे होगी, अपनी सखी से कहो, अपने पैर आगे करेगी, मै जैसे पैर मे स्पर्श करके देख लूंगा, तो दूसरी पहना दूंगा।
ठाकुर जी बोले मै सब समझ रहा हूं, पैर छूबे के चक्कर मे ये पकड लेगा, और ये जाने नही देगा, श्री जी बोली स्पर्श कर लेने दो, नही श्री जी आप पीछे रहे, चलो मै दूसरी दिला दूंगा, नही मुझे वही चाहिए, जो सूरदास के हाथ मे है, श्री जी आगे बढ गई, लो बाबा पायल देख लो।
सूरदास ने जैसे पायल देखी, आरे ये तो वही पायल है, फिर दूसरे पैर मे सूरदास जी ने पहना दिया, पहनाने के बाद, कस के चरण पकड लिया श्री जी के, बोले अब नही जाने दूंगा, मै जान गया हूं, ये वृषभानु दुलारी है, और लाला तू जो निकाल के गया है, मै जानता हूं।
जब श्यामा श्याम ने दर्शन दिया... Click here
तुम नंद के लाला हो, जीवन निकल गया तुम्हारे यस को गाते गाते, अब नही जाने दूगा, ठाकुर जी बोले बाबा, तू जो कहेगा वो करेंगे, अब बताओ करना क्या है, तुम कैसे छोडोगे, सूरदास बोले, मेरे एक नेत्र मे श्री जी, और दूसरे नेत्र मे आप, विराजमान हो जाओ।
मुझे नित्य आप लोगो के दर्शन हो, मुझे यही वरदान दे दो, श्यामा श्याम युगल रूप मे खडे होकर, सूरदास के नेत्रो मे हाथ रख दिया, बोले सूरदास आखे खोलो, आज सूरदास जी ने पहली बार अपने नेत्र खोले, और श्यामा श्याम के युगल प्रत्यक्ष दर्शन हो गए, भावुक होकर सूरदास जी,
प्रभु की जोडी को निहार रहे है, फिर सूरदास बोले मुझपर एक और कृपा कर दो, बोले क्या, मुझे फिर से अंधो बना दो, आप दोनो दिख गए, अब दुनिया मे कोई को नही देखना, ये जो सूरदास के साथ हुआ ये क्या है, ये रास है, भगवान भी उसे के साथ खेलते है, जो खेलना जानता हो, जब भी कोई अपने आप को भगवान पर समर्पित कर देता है,
तो भगवान उसे कभी ना कभी दर्शन देते है, किसी से एक व्यक्ति ने पूछा, की आपके घर मे भगवान है, व्यक्ति ने कहा हां है, बोले कहा है, हमारे घर मे एक मंदिर है उसमे है, इस प्रश्न को भगवत प्रेमी कुछ इस प्रकार उत्तर देता, की प्रभु के यहा।
हमारा एक छोटा सा घर है, और सच्चाई यही है। कहानी अगर आपके दिल को छू गई हो, तो इस कहानी मे एक हजार कमेंट मे, जय श्री कृष्ण जरूर पूरे करें, धन्यवाद।
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