राम नाम का जाप – भूख मिटाने वाला ही नहीं, जीवन बदलने वाला भी है...
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एक गांव मे एक साधु रहा करता था ... वह दिन-रात राम-राम का जाप करता ... और ढुलकी बजाकर कीर्तन करता रहता ... उसकी भक्ति मे इतना आनंद था ... कि वह संसार से पूरी तरह अलग दिखाई देता था ... साधु की कुटिया के पास ही एक व्यक्ति का घर था ... वह व्यक्ति साधु की ढोलकी और कीर्तन से ... बहुत परेशान रहता था ... उसे नींद नही आती थी ... और वह चिढचिढा हो गया था ... एक दिन वह व्यक्ति गुस्से से भरकर ... साधु की कुटिया मे पहुच गया ... उसने चिल्लाते हुए कहा ... तुम दिन-रात राम-राम रटते रहते हो ... तुम्हे कोई काम नही है क्या ...
हमे तो कमाने जाना पडता है ... लेकिन तुम्हारी ढुलकी की आवाज से नींद नही आती ... साधु शांत स्वर मे बोला ... भाई ... एक बार मेरे साथ बैठकर राम-राम का जाप करके देखो ... बहुत आनंद मिलेगा ... वह व्यक्ति चिढ गया और बोला ... राम-राम जपने से पेट भर जाएगा क्या ...
क्या तुम्हारा राम मुझे रोटी खिलाएगा ... साधु मुस्कराया और बोला ... मुझे तो राम जी की कृपा से रोज़ भोजन मिल जाता है ... तुम भी एक बार सच्चे मन से भक्ति करके देखो ... मुझे पूरा विश्वास है ... कि राम जी तुम्हे भी भोजन देगे ... उस व्यक्ति ने चुनौती दी ठीक है ...
आज मै तुम्हारे साथ राम-राम का जाप करूंगा ... अगर राम ने मुझे आज खाना खिला दिया ... तो जीवनभर राम की भक्ति करूंगा ... लेकिन अगर नही ... तो तुम्हे ढोलकी बजाना बंद करना होगा ... साधु ने स्वीकार किया और कहा ... मैने तो निष्काम भाव से राम की भक्ति की है ...
फिर भी तुम्हारी चुनौती स्वीकार है ... वह व्यक्ति साधु के साथ बैठ गया ... और राम नाम का जाप करने लगा ... लेकिन मन मे यह सोच रखा था ... कि वह आज भोजन नही करेगा ... चाहे कुछ भी हो जाए ... जाप खत्म होने के बाद ... वह घर नही गया ... क्योकि वहा मां और पत्नी उसे खाना खाने के लिए कह सकती थी .... वह सीधा गांव के पास जंगल मे चला गया ... और एक पेड पर चढकर बैठ गया ... उसने निश्चय किया ...
कि आज वह पेड से नीचे नही उतरेगा ... और अन्न का एक दाना भी नही खाएगा ... ताकि साधु को गलत साबित कर सके ... कुछ समय बाद उसी जंगल से बंजारो की एक टोली गुजरती है ... जब उनको भूख लगी ... तो जंगल मे आग जलाकर खाना बनाना शुरू कर देते है ... खाना तैयार होता है ... लेकिन तभी खबर मिलती है ... कि डाकू पास आ रहे है ... डर के मारे बंजारे खाना वही छोडकर चले जाते है ... पेड पर बैठा वह व्यक्ति यह सब देख रहा था ... कुछ समय बाद डाकू वहा आ पहुचे .. वे खाना देखकर चौंक जाते है ... और आपस मे बात करने लगते है ... भोजन बना है लेकिन किसी ने खाया नही ... कही इसमे जहर तो नही ... तभी उनकी नजर पेड पर बैठे व्यक्ति पर पडी ... डाकू ने उसे नीचे उतरने का आदेश देता है ... और पूछते है ... क्या तुमने यह खाना ज़हर मिलाकर बनाया है ...
वह व्यक्ति डरकर सच्चाई बताता है ... कि यह खाना उसने नही बनाया ... बंजारे बनाकर छोड गए है ... लेकिन डाकू नही मानते ... डाकू कहते है ... अगर खाना ठीक है ... तो पहले तुम खाओ ... नही तो समझो तुम्हारी आखिरी घडी आ गई है ... डर के मारे और जान बचाने के लिए ... वह व्यक्ति उस भोजन को खा लेता है ...खाते हुए उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे ... उसे साधु की बात याद आती है ... राम तुम्हे भोजन देंगे ... भोजन खाने के बाद डाकू उसे छोड देते है ... अब उसे विश्वास हो गया ... कि यह सब भगवान राम की लीला थी ... वह तुरंत साधु की कुटिया की ओर भागता है ... और उनके चरणो मे गिरकर ... रोते हुए सारी घटना सुना देता है ... अब उसे राम नाम मे वही आनंद आने लगा ... जो साधु को आता था ... उसने अपना जीवन राम भक्ति को समर्पित कर दिया ... कमेंट मे एक बार जय श्री राम जरूर लिखे ...
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