खाली कुर्सी पर भगवान से बात करता था बुढ़ा पिता — अंतिम क्षणों की सच्ची कहानी"

प्रार्थना का सबसे सुंदर रूप — ईश्वर से दिल की बात करना...

बीमार वृद्ध व्यक्ति बिस्तर पर लेटा है, उसके पास एक संत जी folded hands के साथ आशीर्वाद दे रहे हैं, और दरवाज़े पर खड़ी बेटी भावुक होकर देख रही है।

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एक लडकी ने ... एक सन्त जी को बताया ... कि मेरे पिता बहुत बीमार है ... और अपने पलंग से उठ भी नही सकते ... क्या आप उनसे मिलने हमारे घर पे आ सकते है ... सन्त जी ने कहा ... बेटी मै ज़रूर आऊंगा ... जब सन्त जी उनसे मिलने आये ... तो देखा कि एक बीमार और लाचार आदमी ... पलंग पर दो तकियो पर सिर रखकर लेटा हुआ है ...

लेकिन एक खाली कुर्सी उसके पलंग के सामने पडी थी ... सन्त जी ने उस बूढे और बीमार आदमी से पूछा ... कि मुझे लगता है ... कि शायद आप मेरे ही आने की उम्मीद कर रहे थे ... उस वृद्ध आदमी ने कहा ... जी नही ... आप कौन है ... सन्त जी ने अपना परिचय दिया ... और फिर कहा ... मुझे ये खाली कुर्सी देखकर लगा ... कि आपको मेरे आने का आभास हो गया है ...

वो आदमी बोला ... सन्त जी अगर आपको बुरा न लगे ... तो कृपया कमरे का दरवाज़ा बंद कर दीजिये ... संत जी को थोडी हैरानी तो हुई ... फिर भी सन्त जी ने दरवाज़ा बंद कर दिया ... वो बीमार आदमी बोला ... कि दरअसल इस खाली कुर्सी का राज़ ... मैने आज तक भी किसी को नही बताया ... अपनी बेटी को भी नही ... दरअसल अपनी पूरी ज़िंदगी मे ... मै ये जान नही सका ...

कि प्रार्थना कैसे की जाती है ... लेकिन मै हर रोज मंदिर जाता ज़रूर था ... लेकिन कुछ समझ नही आता था ... लगभग चार साल पहले ... मेरा एक दोस्त मुझे मिलने आया .... उसने मुझे बताया ... कि हर प्रार्थना भगवान से सीधे ही हो सकती है ... उसी ने मुझे सलाह दी ... कि एक खाली कुर्सी अपने सामने रखो ... और ये विश्वास करो ... कि भगवान खुद इस कुर्सी पर तुम्हारे सामने बैठे है ...

फिर भगवान से ठीक वैसे ही बाते करना शुरू करो ... जैसे कि अभी तुम मुझसे कर रहे हो ... वो हमारी हर फरियाद सुनता है ... और जब मैने ऐसा ही करके देखा ... मुझे बहुत अच्छा लगा ... फिर तो मै रोज़ दो-दो घंटे तक ऐसे ही भगवान से बाते करने लगा ... लेकिन मै इस बात का ख़ास ध्यान रखता था ... कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा करते न देख ले ...

 अगर वो देख लेती ... तो उसे लगता कि मै पागल हो गया हूं ... ये सुनकर सन्त जी की आँखो मे ... प्रेम और भाव से आँसू बहने लगे ... सन्त जी ने उस बुजुर्ग से कहा ... कि आप सबसे ऊँची भक्ति कर रहे हो ... फिर उस बीमार आदमी के सिर पर हाथ रखा ... और कहा अपनी सच्ची प्रेम भक्ति को ज़ारी रखो ... सन्त जी अपने आश्रम मे लौट गये ...

लेकिन पाँच दिन बाद ... वही बेटी सन्त जी से मिलने आई ... और उन्हे बताया ... कि जिस दिन आप मेरे पिता जी से मिले थे ... वो बेहद खुश थे ... लेकिन कल सुबह चार बजे मेरे पिता जी ने प्राण त्याग दिये है ... बेटी ने बताया ... कि मै जब घर से अपने काम पर जा रही थी ... तो उन्होने मुझे बुलाया ... मेरा माथा प्यार से चूमा ... उनके चेहरे पर बहुत शांति थी ...

उनकी आँखे आँसुओ से भरी हुई थी ... लेकिन वापिस लौटकर मैने एक अजीब सी चीज़ भी देखी ... वो ऐसी मुद्रा मे अपने बिस्तर पर बैठे थे ... जैसे खाली कुर्सी पर उन्होने ... किसी की गोद मे अपना सिर झुका रखा हो .. जबकि कुर्सी तो हमेशा की तरह ख़ाली थी ...

सन्त जी ... मेरे पिता जी ने ख़ाली कुर्सी के आगे सिर क्यो झुका रखा था ... बेटी से पिता का ये हाल सुन कर ... सन्त जी फूटफूट कर रोने लगे ... और मालिक के आगे फरियाद करने लगे ... हे मालिक ... मैं भी जब इस दुनिया से जाऊं ... तो ऐसे ही जाऊं ... मुझ पर भी ऐसी ही कृपा करना ... इस छोटे से वीडियो मे आपको क्या समझ आया ... हमे कमेंट करके जरूर बताना ...

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